मधेपुरा, अप्रैल 28 -- सिंहेश्वर, निज संवाददाता। सिंहेश्वर में आयोजित सात दिवसीय श्री शिवपुराण कथा के अंतिम दिन रविवार को प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मश्रिा ने कहा कि भगवान शंकर पालक और संहारक दोनों रूपों में पूज जाते हैं। भोलेनाथ का अर्थ है कोमल हृदय वाला, दयालु और आसानी से माफ करने वाला देवता। भगवान शिव थोड़े से प्रयास से भी प्रसन्न हो जाते हैं। भक्तों की सच्ची श्रद्धा से वे तुरंत वरदान देते हैं। कथावाचक ने कहा कि भगवान शिव छल-कपट से दूर रहते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। उन्होंने बताया कि लिंगम को पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग का आकार ब्रह्मांड की अनंतता और ऊर्जा का प्रतीक है। शिवलिंग में भगवान शिव का निराकार रूप वद्यिमान है। समुद्र मंथन के समय निकले 14 रत्नों में से कई रत्न भगवान शिव को प्रिय हैं। सिंहेश्वर क...