प्रयागराज, जनवरी 30 -- संगम की रेती पर सांसारिक जीवन से मुक्त होकर लाखों कल्पवासी अपनी साधना में लीन हैं। नियम, संयम व अनुशासन के साथ भक्ति, भजन और सात्विक भोजन से मोक्ष की कामना कर रहे हैं। एक माह की कठिन साधना के साथ जो अक्षय आत्मिक शक्ति प्राप्त हो रही है वह सेहत के लिए संजीवनी साबित हो रही है। इस संजीवनी को प्राप्त करने के लिए सेक्टर आठ में कुशीनगर की रहने वाली 80 वर्षीय चंद्रावती त्रिपाठी आठ वर्षों से कल्पवास कर रही हैं। चंद्रावती का कहना है कि तीन साल पहले लगा कि शायद उम्र साथ नहीं देगी इसलिए तीर्थपुरोहित की सलाह पर शैय्या दान कर दिया था। लेकिन उसके बाद कल्पवास की मिली आध्यात्मिक शक्ति व मां गंगा की कृपा से दोबारा कल्पवास का संकल्प लिया। चंद्रावती ने बताया कि कल्पवास की साधना में खूब सुख-समृद्धि प्रदान की। बेटे-बेटी को सरकारी नौकरी ...