मुख्य संवाददाता, जुलाई 22 -- सजायाफ्ता चंदन की हत्या में शामिल निशू खान और उसका मौसेरा भाई तौसीफ पारस अस्पताल के चप्पे-चप्पे को जानते थे। उन्हें पता था कि किस वक्त और किस ओर से अस्पताल में आसानी से घुसा जा सकता था। दरअसल, कुछ वर्ष पहले शास्त्रीनगर थाने के नेहरू पथ पर निशू खान अपनी गाड़ी से जा रहा था। उसकी महिला मित्र भी गाड़ी में सवार थी। तभी निशू को गोली मारी गई। इसके बाद उसे पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दौरान तौसीफ ही निशू के अटेंडेंट के रूप में अस्पताल में रहा था। तभी वहां उसकी जान-पहचान हो गई। इतने दिनों तक रहने के दौरान ही तौसीफ ने अस्पताल के चप्पे-चप्पे को देख लिया। उसे पता था कि किस-किस ओर से अस्पताल में दाखिल होने का रास्ता है। उसे अस्पताल के कर्मी भी पहचान चुके थे। यह भी एक कारण है कि तौसीफ को किसी ने रोक-टोक नहीं की। ...
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