मुजफ्फर नगर, अक्टूबर 17 -- नए जमाने की हवा भले ही पुराने रीति-रिवाजों को पीछे छोड़ने पर उतारू हो, लेकिन आज भी मिट्टी के दीपक की लौ के आगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चकाचौंध फीकी ही होती है। दीपों के पर्व पर इलेक्ट्रिक मोमबत्ती, दीपक व झालरों की भरमार और खरीदारी को होड़ लगी रहे, लेकिन लक्ष्मी पूजन में मिट्टी के दीपक का ही महत्व माना जाता हैं। दीपक की रोशनी के बिना दीपावली की पूजा संपन्न नहीं होती है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में दीपावली, शादी, धार्मिक कार्य या अन्य त्योहार व पूजन कार्य कुम्हारों की चाक और बर्तनों के बिना पूरे नहीं होते है। इस बदलाव के पीछे पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता, वोकल फॉर लोकल अभियान और मिट्टी से जुड़ाव की भावना मुख्य कारण माने जा रहे हैं। दीपावली से पहले बाजार सज गए हैं। इस बार खास बात यह है कि प्लास्टिक और केमिकल से बने...