किशनगंज, नवम्बर 4 -- दिघलबैंक। निज संवाददाता पहले के चुनाव में और अब वर्तमान चुनाव में बहुत अंतर आज चुका है। पहले राजनीति में आने वाले लोग जनसेवा की भावना से आते थे। ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा से काम करते थे। तब वोटरों तक पहुंचने के लिए साधन, संसाधन तो नहीं था, लेकिन सजग लोग खुद प्रत्याशी का साथ देते थे। उस दौर में गांव के लोग लोकतंत्र को उत्सव की तरह नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की तरह निभाते थे। लोगों में न तो किसी तरह का भय था और न ही किसी राजनीतिक शोर-शराबे की होड़। सब अपने कर्तव्य को गंभीरता से निभाते थे। पहले प्रत्याशी गांव के किसी सम्मानित व्यक्ति के यहां आते थे और वहीं गांव के लोगों को बुलाकर अपनी बात रखते थे। ये बातें दिघलबैंक प्रखंड के मंगुरा पंचायत के 86 वर्षीय मो.मुस्लिम के कहा। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद जब वे बहुत छोटे थे तब उन्हो...