रांची, मई 13 -- झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दुर्व्यवहार के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के एक मृत जवान की बर्खास्तगी को बदलते हुए उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति माना है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जब सबसे गंभीर आरोप ही साबित नहीं हो पाया, तो बर्खास्तगी जैसी कड़ी सजा देना उचित नहीं है। ऐसे में जब याचिकाकर्ता के पति का निधन हो चुका है,तो फिर से अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है। इसलिए बर्खास्तगी की सजा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदला जाता है। जवान की पत्नी जयंती देवी उर्मलिया ने याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपने पति संतोष उर्मलिया को बर्खास्त किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए पेंशन की मांग की थी। संतोष उर्मलिया धनबाद के बीसीसीएल यूनिट में तैनात थे। वर्ष 1997 में कुछ आरोपों के...