गोपालगंज, अक्टूबर 13 -- वे दिन -अपने समय के चुनावों को याद कर भावुक हो उठते हैं 90 वर्षीय शैलेंद्र कुमार वर्मा -पहले चुनाव सेवा और विचार का पर्व था, अब यह प्रचार और रुपए का बन गया है खेल 82- शैलेंन्द्र कुमार वर्मा गोपालगंज। नगर संवाददाता उचकागांव प्रखंड के 90 वर्षीय शैलेंद्र कुमार वर्मा आज भी अपने समय के चुनावों को याद कर भावुक हो उठते हैं। वे कहते हैं- हमारे जमाने में चुनाव सेवा और विचार का पर्व होता था। अब यह प्रचार और रुपए का खेल बन गया है। बताते हैं कि 1950 और 60 के दशक में जब चुनाव होते थे, तब उम्मीदवार गांव-गांव पैदल जाते थे। लोग घरों में बैठकर चर्चा करते थे कि कौन नेता जनता की बात सुनता है। कौन ईमानदार है। कोई पोस्टर नहीं, कोई लाउडस्पीकर नहीं। बस बात होती थी विकास, ईमानदारी और काम की। पहले नेता चौपाल पर बैठकर किसान की तकलीफ सुनता थ...