बांदा, अप्रैल 29 -- बदौसा। जल संचयन के लिए मनरेगा के तहत बनवाये गए तालाब खुद प्यासे हैं । लाखो रुपये धनराशि खर्च करने के बाद भी न तो ग्रामीणों को इनका लाभ मिल सका और न ही अन्य उपभोग में आ सके। सूखे पड़े तालाबो में पानी की जगह खरपतवार दिखाई पड़ता है। गांवो में मानक विहीन ऐसे तालाब ग्रामीणों और प्यास से तड़पते पशु पक्षियों का मुंह चिढ़ा रहे हैं । पहले तालाब, फिर मॉडल तालाब और अब अमृत सरोवर फिर भी पानी की बूंद तक नही मिलेगी। नरैनी ब्लाक की 83 ग्राम पंचायतों मे ग्रामीणों की खुशहाली और पशु पक्षियों की प्यास मिटाने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में महात्मागांधी योजना से तालाब, वर्ष 2009 में मॉडल तालाबों में लाखो रुपये धनराशि व्यय की गई, और अब 2022 -23 में इन्हीं पुराने तालाबों का रंग रोगन कर अमृत सरोवरो का नामकरण किया गया। ग्रामीणों ने मानक विहीन तालाबो...