रांची, नवम्बर 11 -- झारखंड हाईकोर्ट ने एक अहम और ऐतिहासिक निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने के बाद कोई व्यक्ति धार्मिक या निजी कानून का सहारा लेकर दूसरी शादी नहीं कर सकता। अदालत ने यह फैसला धनबाद के पैथॉलॉजिस्ट डॉ. मो. अकील आलम के मामले में सुनाया, जिन्होंने अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। फैसले में कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 4(ए) के तहत विवाह तभी वैध है जब पति या पत्नी में से कोई भी पहले से जीवित जीवनसाथी न रखता हो। यह अधिनियम "नॉन ऑब्स्टांटे क्लॉज" के तहत लागू है और किसी भी निजी या धार्मिक कानून से ऊपर है। मालूम हो कि अकील आलम ने चार अगस्त 2015 को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह किया था।...
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