पूर्णिया, सितम्बर 25 -- जलालगढ़, एक संवाददाता। कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ में संपन्न हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने पशुपालकों के बीच नए अवसरों की राह खोल दी है। कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों ने यह संदेश दिया कि पारंपरिक खेती के साथ पशुपालन जोड़कर किसान न सिर्फ आत्मनिर्भर बन सकते हैं बल्कि डेयरी उद्यमिता की दिशा में भी कदम बढ़ा सकते हैं। केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. के. एम. सिंह ने कहा कि जिले में दूध उत्पादन की संभावना बहुत अधिक है। यदि पशुपालक दूध से बने उत्पाद घी, दही, छेना, पनीर, मक्खन, छाछ आदि तैयार करें तो आय दोगुनी हो सकती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। .....आय का संभावित अनुमान: विशेषज्ञों ने बताया कि यदि कोई किसान 10 गायों के साथ डेयरी शुरू करता है और हर गाय से औसतन 8-10 लीटर दूध प्रतिदिन प्राप...