नई दिल्ली, नवम्बर 2 -- अमित त्रिपाठी,भू-वैज्ञानिक इक्कीसवीं सदी में, महत्वपूर्ण खनिजों पर नियंत्रण भू-राजनीतिक 'हार्ड पावर' की प्राथमिकता बन गई है। मगर दिक्कत यह है कि भारत की खनिज आवंटन नीति जाने-अनजाने देश की भू-राजनीतिक आकांक्षाओं को कमजोर कर रही है और राष्ट्र की सामरिक स्वायत्तता व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। अमेरिकी टैरिफ इसका ज्वलंत उदाहरण है। अमेरिका ने रूसी तेल आयात के लिए भारत पर टैरिफ लगाया, जबकि उसी तेल के एक बड़े आयातक चीन को छूट दे दी, क्योंकि 'रेअर अर्थ' की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में उसे लगभग एकाधिकार प्राप्त है। आज के समय में रेअर अर्थ की कूटनीतिक अहमियत काफी ज्यादा है। उच्च-तकनीकी रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में अपरिहार्य भूमिका इसे वैश्विक शक्ति संतुलन का एक महत्वपूर्ण घटक बनाती ...
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