सिमडेगा, मई 20 -- सिमडेगा। विकास के नाम पर उजड़ रहे जंगलों के बीच सिमडेगा के गांवों में स्थित अनगिनत बाजार आज पर्यवारण संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं। ये सभी बाजार उन पत्थर के खम्भों पर टिके हैं, जिन्हें कभी हमारे पूर्वजों ने पेड़ों को बचाने के उद्देश्य से तैयार किया था। बीसवीं सदी के प्रारंभ में जब जिले के अलग-अलग गांवों में हफ़्तावार बाजारों की जरुरत हुई। तब शहर से लेकर गांव तक घने जंगलों हुआ करते थे। बाजारों की शुरुआत तो कर दी गई, लेकिन यहां ब्यापार करने के लिए शेड नहीं थे। तब स्थानीय पूर्वजों ने शेड बनाने के लिए पेड़ काटने के आसान रास्ते को छोड़कर पत्थरों को तराशने का कठिन मार्ग चुना। उस युग में न मशीनें थीं, न सीमेंट-कंक्रीट का दबदबा। फिर भी हमारे पूर्वजों ने ठान लिया कि जंगल नहीं उजाड़े जाएंगे। भलें ही इसके लिए हफ्तों तक पत्थरों को काट क...