नई दिल्ली, जुलाई 16 -- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जब 'मानव जीवन दांव पर हो और उसकी कीमत खून हो तो मामले से निपटने में 'अत्यंत ईमानदारी की जरूरत होती है। शीर्ष अदालत ने 2013 में अपने परिवार की हत्या के जुर्म में मौत की सजा जाए एक व्यक्ति को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की तीन सदस्यीय पीठ ने दोषी की मौत की सजा की पुष्टि करने वाले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने मामले में अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाहों की गवाही में 'बड़े विरोधाभासों पर गौर करते हुए कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन पक्ष ने अपने मामले को संदेह से परे साबित कर दिया है। उसने कहा कि हमें यह स्पष्ट करना होगा कि सबूत का मानक बहुत सख्त है और इससे कोई समझौता नहीं किय...