सहारनपुर, सितम्बर 5 -- दशलक्षण पर्व के नौवें दिन जैन मंदिरों में उत्तम आकिंचन धर्म की विशेष पूजा अर्चना की गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने नौवें अध्याय के 46 अध्र्य चढ़ाए। श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सरागवाड़ा में शुक्रवार को सर्वप्रथम श्री 1008 पुष्पदंत भगवान की प्रतिमा का अभिषेक और शांतिधारा कर पूजा अर्चना प्रक्षाल की गई। शांतिधारा का सौभाग्य अंकित जैन के परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य 108 अरुण सागर महाराज ने कहा कि परिवस्तुओं का त्याग कर आत्मा के प्रति समर्पित होना ही उत्तम आकिंचन धर्म हैं। बाहरी परित्याग के बाद भी मन में मैं और मेरे पन का भाव निरंतर चलता रहता है जिससे आत्मा बोझिल होती है। संसार में कोई भी वस्तु आजीवन किसी के लिए नहीं हो सकती। इसलिए मनुष्य को तीर्थंकरों की वाणी पर ध्यान देते हुए उनकी भक्ति करना चाहिए। मनुष्य उत्तम आकिं...