सीतामढ़ी, नवम्बर 15 -- सीतामढ़ी। मतगणना शुरू हुई तो जैसे-जैसे रुझान बाहर आने लगे, जिले भर के चुनावी चाणक्य हवा हो गए। कुछ दिन पहले तक जो हर नुक्कड़, चाय दुकान और पान गुमटी पर बैठकर आंकड़ों की बाजीगरी दिखा रहे थे। वो अचानक नजरों से ओझल हो गए। पहले तो यही लोग बताते थे कि अमुक प्रत्याशी इतने हजार वोट से जीतेगा और फलां जातीय समीकरण तय करेगा नतीजा। कोई मोबाइल पर नोटबुक बनकर बैठा था तो कोई चौक-चौराहे पर टीवी स्क्रीन देखकर अपनी राय दे रहा था। हर किसी के पास अपनी गिनती का अलग गणित था और दावा था कि उनका अनुमान ही असली निकलेगा। लेकिन जैसे ही मतों का रूख बदला, उनके चेहरे की चमक उतरने लगी। कुछ ने फोन बंद किया, कुछ बिना बताए कैंप से खिसक लिए। अब जहां पहले उनके तर्क गूंजते थे, वहां सिर्फ सन्नाटा है। लोग मजाक में कह रहे हैं कि जीत का गणित पढ़ाने वाले ये चाण...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.