औरैया, नवम्बर 3 -- जिले में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण पराली नहीं, बल्कि गेल इंडिया लिमिटेड की चिमनियों से उठता धुआं सामने आ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण तंत्र की सैटेलाइट निगरानी में हाल ही में चिन्हित 10 प्रदूषण स्रोतों में करीब आधे मामले गेल प्लांट से जुड़े पाए गए हैं। इसके बावजूद कार्रवाई किसानों तक सीमित रही है, जबकि गेल की चिमनियों पर न तो जिम्मेदार विभागों ने ठोस कदम उठाए हैं और न ही एनजीटी की ओर से कोई विशेष निगरानी दर्ज की गई है। जानकारी के अनुसार दो मामलों में पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया गया है, लेकिन गेल की ओर से उठते धुएं पर अब तक कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक गेल की चिमनियों और गैस प्रोसेसिंग इकाइयों से निकलने वाला धुआं स्थानीय वातावरण को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। यही नहीं, जिले के विभि...