मेरठ, मार्च 6 -- कंकरखेड़ा। योगीपुरम में देवी भागवत कथा में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ने बताया कि संसार में बंधन तो बहुत हैं, लेकिन प्रेम का बंधन सबसे बड़ा है। मनुष्य का शरीर सिर्फ भोग करने के लिए ही नहीं अपितु अपने कल्याण के लिए नये कर्म करने के लिए मिला है। उन्होंने कहा कि पराम्बा राजराजेश्वरी के चरण कमलों की उपासना से सब तकलीफें दूर हो जाती हैं। चरण कमलों के स्मरण मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य ने कथा में बताया कि महिषासुर ने तीनों लोको पर आधिपत्य जमा लिया, उसका आतंक बढ़ता गया। तब सभी देवताओं ने पराम्बा राजराजेश्वरी की आराधना की। प्रसन्न होकर माता प्रकट हुई। उनके अद्वितीय सौन्दर्य की चारों ओर चर्चा होने लगी। खबर सुनकर महिषासुर ने प्रणय निवेदन भेजा। एक-एक कर मातारानी ने उसके सारे सेनापतियों व उनक...