कौशाम्बी, सितम्बर 27 -- मुख्यालय पर चल रही रामलीला में गुरुवार की रात परशुराम-लक्ष्मण संवाद लीला का मंचन किया गया। लीला को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ रही। मिथिला में शिव धनुष भंग होने पर तपस्यारत भगवान परशुराम का ध्यान भंग हो जाता है और वे क्रोधित होकर मिथिला पहुंचते हैं। वहां उपस्थित राजाओं में भय व्याप्त हो जाता है। राजा जनक स्वयं उन्हें प्रणाम कर सीता का परिचय कराते हैं और विश्वामित्र श्रीराम-लक्ष्मण से परशुराम को प्रणाम कराते हैं। टूटे धनुष को देखकर परशुराम क्रोधित हो जाते हैं और राजा जनक से कारण पूछते हैं। इस पर लक्ष्मण उनके सामने आते हैं और दोनों के बीच संवाद चलता है। परशुराम के क्रोध को देखकर श्रीराम बोले हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा। क्या आज्ञा है, मुझसे क्यों नहीं कहते। यह सुनकर मुनि क्रोधित हो...
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