गोरखपुर, अक्टूबर 16 -- कुशीनगर। दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है। कुम्हार दीपक, परई, घंटी, जांता, कोशा और सुराही बनाने में जुटे हुए हैं। इसकी मांग बढ़ने से कुम्हार वर्ग भी जागरूक हुआ है। दीपावली पर हर घर में मिट्टी के दीयों की मांग अभी भी बनी हुई है, जिसमें कुम्हार अपने पारंपरिक कला और पुस्तैनी काम को पूरी मेहनत और लगन से कर रहे हैं। पहले मिट्टी का बर्तन बनाना कुम्हारों का पुश्तैनी व्यवसाय है। हाटा ब्लॉक के गांव बैदौली महुआडीह के महुआडीह टोले पर लगभग आधा दर्जन कुम्हारों का परिवार अपने इस पुस्तैनी व्यवसाय में जुड़ा है। दीपक, सुराही, परई, कोशा, घंटी, कुल्लड़, कड़ाही, जांता आदि बर्तन बनाते हैं। इनके बनाए मिट्टी के बर्तन लगभग दर्जनों गांवों परसौना बुजुर्ग, बेदौली, महुआडीह, महुआडीह लौंगरापुर, भरवलिया, महुई बुजुर्ग, ...
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