बरेली, मई 1 -- बरेली। त्रिवटीनाथ मंदिर में हो रही श्रीरामचरित मानस कथा के आठवें दिन व्यास पंडित उमाशंकर व्यास ने भगवान शंकर के रुद्र नाम की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि रुद्र का अर्थ है कि जो रामजी के प्रेम में विभोर होकर रोते रहते हैं उन्हें रुद्र कहते हैं। भगवान शंकर 11 प्रकार से प्रभु श्रीराम के लिए रोते रहते हैं। इसलिए 11 रुद्र हुए। नारद जी ने माता पार्वती का हाथ देखकर भगवान शंकर के ग्यारह गुणों का वर्णन किया है, परंतु उन गुणों को दोष के रूप में कहा। जब गुणों का वर्णन दोष के रूप में कहा जाता है तब इसको व्याज स्तुति कहते हैं। बताया कि परमात्मा किसी न किसी माध्यम से हम मनुष्यों को सन्मार्ग दिखाने का प्रयास करते हैं और जो भी प्राणी इस अवसर का सदुपयोग कर लेता है तभी उसका कल्याण हो सकता है। मंदिर कमेटी के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी...
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