हापुड़, सितम्बर 17 -- पिलखुवा। नगर में दशहरा पर्व आते ही रावण दहन की तैयारियां जोरों पर हैं। खास बात यह है कि यहां रावण और कुंभकर्ण के पुतले बनाने की परंपरा चार पीढ़ियों से चली आ रही है। परिवार के बुजुर्गों से मिली कला को अब नई पीढ़ी भी आगे बढ़ा रही है। यही कारण है कि इस परिवार के बनाए पुतले नगर में सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। मोहल्ला रमपुरा हौली चौक निवासी ऋषभ कुमार ने बताया कि उनके परदादा बालेराम ने इस काम की शुरुआत करीब 90 साल पहले की थी। उस समय बांस और कपड़े के सहारे पुतले बनाए जाते थे। अब भी पुतलों को रोकने के लिए बांस का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि परंपरा और मेहनत का भाव अब भी वही है। हर साल विजयदशमी से लगभग एक महीना पहले पुतले तैयार करने का काम शुरु हो जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे लिए यह सिर्फ रोजगार का साधन नहीं है, बल्कि ...
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