मुंबई, सितम्बर 16 -- बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने हालिया एक फैसले में कहा है कि अगर किसी नियोक्ता ने किसी कर्मचारी से लंबे समय तक सेवा ली है और पद स्वीकृत नहीं होने की वजह से उसकी नौकरी परमानेंट नहीं की जा रही है तो यह नहीं चलेगा बल्कि उसे हर हाल में स्थायी करना ही होगा। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि निरंतर सेवा की अपेक्षित अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों को केवल इस आधार पर स्थायी दर्जा देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अगर इस तरह से इनकार किया जाता है तो यह कर्मचारियों के निरंतर शोषण के समान होगा, जो कल्याणकारी कानूनों और सामाजिक न्याय के प्रावधानों के खिलाफ है। जस्टिस मिलिंद एन. जाधव ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में कार्यरत 22 वन मजदूरों की रिट याचिका पर यह फैसला सुन...