देहरादून, नवम्बर 5 -- श्रीनगर। आस्था, लोकसंस्कृति और संगीत के संगम से सजे ऐतिहासिक बैकुंठ चतुर्दशी मेले की पहली सांस्कृतिक संध्या यादगार बन गयी। सुप्रसिद्ध लोकगायक पद्मश्री डॉ. प्रीतम भरतवाण ने अपनी मधुर आवाज़ में जब देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए जागर गीतों की प्रस्तुति दी तो पांडाल में बैठे श्रोताओं पर देवता अवतरित हो गए। डॉ. भरतवाण ने शिवजी कैलाशु रैंदा, 'हे देवता म्यरु बगड़ बासु" गाया तो पूरा पंडाल भक्तिरस में डूब गया। इसके बाद उन्होंने गौरजा जागर, नंदा देवी का जागर, बांखली बग्वाल, लागी लागी बाण बर्फूली और छेली आ बिंदुली जैसे प्रसिद्ध लोकगीतों से ऐसा समां बांधा कि श्रोता देर रात तक तालियों से उनका उत्साहवर्धन करते रहे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना और नगर निगम श्रीनगर की मेयर ...