नई दिल्ली, अक्टूबर 13 -- दिल्ली हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच तलाक के एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि जीवनसाथी पर अंधाधुंध, अपमानजनक और बिना किसी सबूत के अवैध संबंध के आरोप लगाना अत्यधिक क्रूरता है। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और हर्ष वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि बेवफाई के बार-बार निराधार आरोप किसी व्यक्ति के लिए उत्पीड़न, अपमान और मानसिक पीड़ा है। तलाक मंजूर करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे आरोप लगाने और अनावश्यक मुकदमेबाजी से यह स्पष्ट होता है कि आरोप लगाने वाले का रवैया प्रतिशोधात्मक है और इस तरह का व्यवहार बहुत क्रूर है। अदालत ने कहा कि विवाह का आधार आपसी विश्वास और सम्मान होता है। कोर्ट ने कहा कि जब एक व्यक्ति अपमानित किया जा रहा हो और जीवन साथी ही बेबुनियाद आरोप लगाए, वे ऐसे परिस्थिति में साथ रहने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। दरअ...