विधि संवाददाता, अगस्त 20 -- पटना हाई कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सिपाही पति की अर्जी को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पत्नी पहले आती है और रिश्तेदारों का नंबर उसके बाद आता है। पति को पहले अपनी पत्नी की देखभाल करनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि भाइयों को आश्रित नहीं माना जा सकता। इसके अलावा दिवंगत बहन की बेटी की देखभाल करना एक पवित्र दायित्व हो सकता है, लेकिन यह वैधानिक दायित्व नहीं है। पटना हाई कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की एकलपीठ ने आवेदक पति चंदन पासवान की अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। आवेदक चंदन आरपीएफ में सिपाही के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें सभी कटौतियों के बाद बतौर वेतन लगभग 41,000 रुपये मिलते हैं। पत्नी ने अपने भरण-पोषण के लिए गयाजी क...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.