वाराणसी, मार्च 20 -- वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता गंगा और वरुणा में बिना शोधित गिर रहे सीवेज की सफाई के लिए बायो रेमिडिएशन तकनीक का सहारा लिया जाएगा। एसटीपी की तुलना में इस तकनीक में बेहद कम खर्च में सीवरेज से हैवी मेटल समेत खतरनाक केमिकल को निकाला जा सकेगा। इस तकनीक की बड़ी खासियत यह कि इसमें न तो ऊर्जा की खपत होती है न ही एक इंच अतिरिक्त जमीन की जरूरत है। किसी तरह का निर्माण भी नहीं किया जाता। केवल पत्थरों और खास तरह के पौधों से सीवेज शोधित किया जा सकता है। इस तकनीक के उपयोग के मद्देनजर दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एन्वायरन्मेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम के संस्थापक निदेशक रहे प्रो.सीआर बाबू और साइंटिस्ट बी. यासर अराफात ने बुधवार को चार नालों की निरीक्षण किया। सूजाबाद में शायरी और घटावरी, लोहता में दुर्गा नाला और नरोखर नाले का...
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