नई दिल्ली, जुलाई 18 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक परिवार अदालत के तलाक संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली महिला को राहत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना और उस पर अवैध संबंध का शक करना क्रूरता है, इसलिए यह तलाक का आधार है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि महिला के आचरण को उसके पति के प्रति 'क्रूरता माना जा सकता है। अदालत ने महिला की याचिका खारिज कर दी। याचिका में उसने परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। परिवार अदालत ने पति की तलाक याचिका को मंजूरी दी थी। महिला ने याचिका में अपने पति से एक लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था। इस जोड़े की शादी 2013 में हुई थी, लेकिन दिसंबर 2014 में वे अलग रहने लगे। वर्ष 2015 में, पत...