नई दिल्ली, जुलाई 14 -- प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति या पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई टेलीफोन बातचीत वैवाहिक विवाद के मामले में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है और इससे किसी तरह की निजता के अधिकार हनन नहीं हुआ है। शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है, जिसमें कहा गया था कि पत्नी की जानकारी के बगैर टेलीफोन पर किसी से हुई बातचीत को रिकॉर्ड करना उसकी निजता के मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है और इसे वैवाहिक विवाद के मामले में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अपने फैसले कहा है कि 'यदि शादी उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां पति-पत्नी एक-दूसरे पर सक्रिय रूप से नजर रख रहे हैं...