नई दिल्ली, सितम्बर 27 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में अहम फैसले में कहा है कि पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति से तलाक तभी दिया जा सकता है जब दोनों पक्ष संयुक्त रूप से और स्पष्ट रूप से अलग होना चाहते हों। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि दोनों पक्ष अलग-अलग और स्वतंत्र रूप से अलग-अलग याचिकाएं दायर कर विवाह विच्छेद की मांग करते हैं, तो संबंधित फैमिली कोर्ट द्वारा इसे आपसी सहमति से तलाक की याचिका नहीं माना जा सकता। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल एवं जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13बी की बुनियादी शर्त है कि विवाह विच्छेद के लिए दोनों पक्षों के बीच पहले से एक स्पष्ट व साझा सहमति होनी चाहिए। यदि ऐसा पूर्व सहमति का आधार मौजूद न हो तो बाद में दायर समानांतर याचिकाओं को आपसी सहमति की याचिका के रूप में पुनर्परिभाषित नहीं ...
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