हरिद्वार, सितम्बर 19 -- महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विवि वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने पतंजलि में आयोजित व्याख्यान में भारतीय चिंतन परंपरा में मनोविज्ञान और पाश्चात्य दृष्टिकोण में मनोविज्ञान का तुलनात्मक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में मनोविज्ञान केवल मानसिक प्रक्रियाओं की व्याख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन-दर्शन, आत्म-चिंतन, समरसता और संतुलन की ओर उन्मुख है। इसके विपरीत, पाश्चात्य मनोविज्ञान का झुकाव व्यक्ति-केंद्रित और व्यवहार की बाह्य अभिव्यक्तियों की ओर अधिक है।

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