नई दिल्ली, फरवरी 12 -- ओडिशा हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में परिवार न्यायालय द्वारा निर्धारित भरण-पोषण राशि को घटाते हुए एक अहम बात कही है। कोर्ट का कहना है कि अगर पत्नी शिक्षित हो, उसके पास नौकरी का अनुभव हो तो वह अपने पति से भरण-पोषण का दावा करने के लिए घर में बैठी नहीं रह सकती है। उसे काम करना चाहिए। इसके अलावा अदालत ने मेंटिनेंस की राशि को 8000 रुपये से घटाकर 5000 रुपये प्रति माह कर दिया। न्यायमूर्ति गौरिशंकर सतपती ने कहा, "कानून उन पत्नियों को नहीं सराहता है जो केवल इसलिए निष्क्रिय रहती हैं ताकि पति पर भरण-पोषण का बोझ डाल सकें। वह अगर अच्छे और उच्च योग्यताएं रहते हुए काम करने का प्रयास नहीं करती है तो यह ठीक नहीं है।" फैसला सुनाते हुए उन्होंने आगे कहा, "सीआरपीसी की धारा 125 के तहत विधायिका का उद्देश्य उन पत्नियों को राहत प्रदान करना...
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