मुजफ्फरपुर, अगस्त 6 -- मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। न्यू फोरलेन पताही में चल रहे महारुद्र यज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन बुधवार को मां आदि शक्ति सेवा ट्रस्ट की संस्थापिका पंडित गौरांगी गौरी ने ठाकुर जी का विवाह प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि जब भी प्रेम का नाम लिया जाता है, तो श्रीकृष्ण को सबसे पहले याद किया जाता है। कान्हा ने प्रेम को कई तरह से परिभाषित किया। कभी एक दोस्त के रूप में, कभी एक सखा तो कभी प्रेमी और पति के रूप में। उनका प्रेम हर तरह से अनोखा था। देवी रुक्मिणी, विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह बहुत सुंदर और बुद्धिमान थीं। एक समय था जब पिता भीष्मक अपनी पुत्री के लिए योग्य वर की तलाश में थे। उस दौरान यदि कोई उनसे मिलने आता था तो वह श्रीकृष्ण के साहस और निर्भीकता की प्रशंसा करता। यह सुनकर देवी रुक्मिणी ने मन...