भागलपुर, जुलाई 20 -- भागलपुर, प्रधान संवाददाता। साहित्य की दुनिया में बनफूल के नाम से चर्चित नाम एवं पद्मभूषण बालाई चंद्र मुखोपाध्याय को उनकी कर्मभूमि के लोगों ने 19 जुलाई को उनकी जयंती पर याद नहीं किया। वह बांग्ला और हिन्दी के साहित्य शिरोमणि रहे थे और भागलपुर का बंगाली समाज इससे गौरवान्वित भी रहा है। बनफूल पेशे से डॉक्टर थे और करीब 40 साल तक भागलपुर के पटल बाबू रोड स्थित एक मकान में बतौर पैथोलॉजिस्ट क्लीनिक चलाते थे एवं मरीज भी देखते थे। लेकिन विडंबना है कि उनकी जयंती को न बंगाली समाज ने याद रखा न ही डॉक्टर समुदाय ने। कहीं कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ। भागलपुर की साहित्यिक सांस्कृतिक विरासत को जब भी याद किया जाता है तो गर्व के साथ बनफूल का नाम लिया जाता है। 60 से अधिक उपन्यास, 500 से अधिक लघु कथाएं, नाटक आदि की रचना उन्होंने की। अधिकांश रचना...