दरभंगा, फरवरी 23 -- पुरोहित या पुजारी को समाज में उच्च दर्जा प्राप्त रहा है। लोग इन्हें सम्मानित निगाह से देखते हैं, पर अधिकतर पुरोहित आर्थिक दुश्वारियों के शिकार हैं। मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना, शादी-विवाह, धार्मिक अनुष्ठान आदि कर्मकांड कराने के एवज में इन्हें कम दक्षिणा मिल रही है। इस कारण पुरोहितों का बमुश्किल गुजारा हो रहा है। बच्चों की स्कूल फीस, घर का दैनिक खर्च सहित अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए पुरोहित परेशान रहते हैं। इस स्थिति के कारण पुरोहित-पुजारी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। युवाओं का पुश्तैनी कार्य से मोह भंग होने लगा युवा पुरोहितों का पुश्तैनी कार्य से मोह भंग होने लगा है। पुरोहित समाज इस हालात के लिए दक्षिणा राशि का निश्चित न होना और सरकार से मानदेय या अन्य लाभ नहीं मिलने को जिम्मेवार बताते हैं। साथ ही आधुनिक समय ...