प्रयागराज, अगस्त 26 -- प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक केस में न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए बगैर जारी सम्मन के प्रोफार्मा आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी अभियुक्त को सम्मन जारी करना गंभीर मामला है, इसमें न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने मुनाजिर हुसैन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने सीजेएम मुरादाबाद को नये सिरे से कानून के मुताबिक विचार कर आदेश करने का निर्देश दिया है। ययाची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र व एडवोकेट अभिषेक मिश्र का कहना था कि याची निर्दोष है। प्रथमदृष्टया उसके खिलाफ कोर्ट आपराधिक मामला नहीं बनता। याची को 2001 में सम्मन जारी किया गया था। इससे पहले याचिका पर केस कार्यवाही पर रोक लगी थी।बाद में याचिका खारिज हो गई तो सम्मन जारी ...