नई दिल्ली, जून 11 -- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने मंगलवार को कहा कि देश में न्यायिक सक्रियता की भूमिका बनी रहेगी, लेकिन इसे इतना नहीं बढ़ाना चाहिए कि यह न्यायिक आतंकवाद का रूप ले ले। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब विधायिका और कार्यपालिका नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहती हैं, तब न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ता है। लेकिन इस हस्तक्षेप की सीमा और मर्यादा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "न्यायिक सक्रियता बनी रहेगी। लेकिन कभी-कभी जब सीमाएं लांघी जाती हैं और न्यायपालिका उन क्षेत्रों में प्रवेश करती है जहां उसे नहीं करना चाहिए, तब यह चिंता का विषय बन जाता है।" CJI गवई ने कहा कि न्यायिक समीक्षा का उपयोग केवल विशेष परिस्थितियों में होना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह शक्ति केवल तब प्रयोग की जानी चाहिए जब कोई कानून संविधान की मूल सं...