नई दिल्ली, अप्रैल 27 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में बढ़ती आबादी और मुकदमों की संख्या के अनुपात में 'जजों की भारी कमी' पर गहरी चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा कि मामलों की अधिकता के चलते समय पर अपीलों का निपटारा संभव नहीं हो पाता है। कई बार कुछ मामले बिना सुने ही रह जाते हैं, जो न्यायाधीशों के लिए 'बेहद पीड़ादायक' होता है। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी और जालसाजी के दोषी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता ने सामाजिक संबंधों और व्यापारिक विकास के उद्देश्य से कजाकिस्तान और जार्जिया में रोटरी क्लब की सभा में शामिल होने के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी। सशर्त विदेश यात्रा की अनुमति न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने कहा कि जब अदालत काफी संख्या में लंबित मामलों के कारण अपीलों का स...