भभुआ, मार्च 8 -- वृद्धजनों व कुष्ठ रोगियों की सेवा, पर्यावरण, समाज के लिए भी किया काम दुर्घटना में पति के दिव्यांग होने पर बहुत कुछ झेला व सहा, अब कामयाब (महिला दिवस) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। शहर की मंजू आर्या रामरति मनोरमा डिग्री कॉलेज में प्राध्यापिका की नौकरी छोड़ उद्यमी बन गई हैं। जब सड़क दुर्घटना में इनके पति चंद्र प्रकाश आर्य पैर से दिव्यां हो गए, तब इन्हीं के कंधे पर घर-परिवार की जिम्मेदारी आ गई। तब इनका बेटा वात्सल्य आर्य तीन साल का था। वह बीएचयू की गोल्डमेडलिस्ट रही हैं। वृद्धजनों व कुष्ठ रोगियों की सेवा करने के लिए पर्यावरण संरक्षण, समाज सेवा व स्वच्छता के लिए काम किया है। उन्हें लोक अदालत के सदस्य के रूप में समझौता के आधार पर मुकदमों के निष्पादन का भी अवसर मिला है। उन्होंने बताया कि परेशानी के बीच परिवार व समाज के लिए कुछ कर दिख...
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