भागलपुर, अक्टूबर 11 -- भागलपुर। घाट-घाट का पानी पीकर उम्र बीता चुके बाबा दायित्व से मुक्त होने के बाद ज्यादा मुखर और स्पष्टवादी हो गए हैं। फिलहाल वह सत्याग्रह करने जा रहे हैं। इसलिए बाबा के विरोध में झंडे उठाए लोग चर्चा कर रहे हैं कि यह उनका प्रेशर पॉलिटिक्स है। दरअसल उनके दल के लोगों ने जब से उन्हें दरकिनार करना शुरू किया है, उनकी तल्खियां बढ़ गई हैं। मौका सामने आने पर गुबार निकालने में उन्हें कोई गुरेज नहीं। जब मंच पर आते हैं दल के संस्थापक से शुरू होते हैं दगाबाज से लेकर पिछले दरवाजे से घुसे लोगों तक को निशाने पर लेते हैं। तालियां बजती है तो उनका आत्मविश्वास कुलांचे मारकर बाहर निकलने लगता है। सत्याग्रह की घोषणा के बाद हाल ही में एक जगह कुछ लोगों ने चर्चा में कहा- वह कभी युवा तुर्क कहे जाते थे। जोश में एक बार बुझते चिराग के जयकारे लगा द...