हिन्दुस्तान ब्यूरो, सितम्बर 7 -- बिहार में नौवीं विधानसभा का चुनाव कई मायने में खास रहा। इस चुनाव में कांग्रेस की ताकत में और इजाफा हुआ, लेकिन बिहार की राजनीति में एक बड़ी ताकत के रूप में उसका पटाक्षेप भी हो गया। यह अंतिम चुनाव था जब वह राजनीतिक महाशक्ति के रूप में बिहार में इस दल ने शासन किया। लोकदल ने मुख्य विपक्षी दल के रिक्त स्थान को भरा और बड़ी ताकत के रूप में उभरा। उसने कांग्रेस के बाद सर्वाधिक सीटें भी जीतीं। यही वह समय था, जब बिहार की संसदीय राजनीति में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद का अभ्युदय हुआ। नीतीश कुमार पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतकर सदन पहुंचे तो लालू प्रसाद पहली बार विपक्ष के नेता बने। ऐसे तो लालू प्रसाद 8वीं विधानसभा में भी पहुंचे, लेकिन उन्हें बड़ी पहचान इस विस से मिली जब वे विपक्ष के सर्वमान्य नेता बनने की ओर बढ़े। उधर,...