नई दिल्ली।, नवम्बर 20 -- Nitish Kumar: पांच दशक से अधिक लम्बे राजनीतिक सफर में नीतीश कुमार ने बार-बार यह साबित किया है कि उन्हें खत्म समझने की हर कोशिश बेअसर साबित होती है। हर बार वह चौंकाने वाले नतीजे के साथ सियासी राख से उठकर फिर चमकने लगते हैं। वह मंडल राजनीति से उभरने वाले नेताओं में अपनी अलग पहचान रखते हैं। ज्यादातर समाजवादी धारा के नेताओं के उलट नीतीश कुमार ने शासन सुधार और विकास को प्राथमिकता दी। हालांकि विपक्षी दल उन्हें अवसरवाद का प्रतीक भी बताते रहे। कई उतार-चढ़ावों के बावजूद नीतीश कुमार की राजनीतिक चतुराई का बड़ा असर यह रहा कि आज तक बीजेपी बिहार में अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई। यह तब भी सच है जब हालिया विधानसभा चुनाव में उसने 89 सीटें जीतीं, जबकि जेडीयू 85 सीटों पर रही। उनके लगातार पाला बदलने के कारण उन्हें जरूर 'पलटू राम' कह...
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