गोंडा, दिसम्बर 4 -- खरगूपुर,संवाददाता। झालीधाम आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में अंतिम दिन शास्त्री जी ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष के कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि सुदामा चरित्र हमें सच्ची भक्ति और निष्काम प्रेम का पाठ पढ़ाता है। बाल्य काल के मित्र श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन परम भक्त और भगवान के दिव्य संबंध का एक उत्तम उदाहरण है। कथा व्यास ने कहा कि सुदामा की निर्धनता उनके हृदय की समृद्धि के आगे कुछ भी नहीं थी, जिसे भगवान भली भांति जानते थे। बिना मांगे भगवान ने सुदामा के जीवन में सुख, वैभव और समृद्धि वरदान से भर दिया था। प्रवाचक पथिक ने कहा कि ये प्रसंग यह दर्शाता है कि भगवान भक्त के प्रेम और भाव को स्वीकार करते हैं ना की वस्तु को। जिस हृदय में भक्ति और विनम्रता बसती है, वहां भगवान हमेशा विराजमान रहते हैं। मित्रता और भ...