नई दिल्ली, अक्टूबर 1 -- सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने सरकारी संस्थानों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे अक्सर ऐसे मुकदमों में संसाधन खर्च करते हैं, जिनकी सफलता की कोई संभावना नहीं होती। उन्होंने कहा, "अगर सरकारी संस्थान बेवजह एक के बाद एक मुकदमा दायर करते रहेंगे, तो देश के संसाधन बर्बाद होंगे और न्यायालय का समय भी व्यर्थ जाएगा।" भुवनेश्वर में 27 सितंबर को आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए जस्टिस नागरत्ना ने वकीलों से खुद को मानव संघर्ष के उपचारक के रूप में देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित मेडिएशन एक्ट, 2023 न्याय तक पहुंच को आसान बनाने और अदालतों का बोझ घटाने का महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस भ्रांति को खारिज किया कि मध्यस्थता (मेडिएशन) न्याय का कमजोर रूप है। उनके अनुसार, यह न्याय पाने का समयबद्ध, सुलभ और समान...