नैनीताल, अप्रैल 17 -- एक युवक को खुद के साथ हुए धोखाधड़ी का 20 साल बाद पता चला। पहले तो उसने यूनिवर्सिटी के वीसी और मुख्यमंत्री को न्याय की मांग करते हुए पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। उसके बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो दशक पहले की गई नियुक्ति के बारे में दस्तावेज पेश करने को कहा है। एक जनहित याचिका में दावा किया गया था कि सही उम्मीदवार के बजाय गलत व्यक्ति का चयन किया गया था। पवन कुमार मिश्रा ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया कि 2005 में विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में व्याख्याता के पद के लिए उनके चयन के बावजूद उन्हें नियुक्त नहीं किया गया। उनके स्थान पर प्रमोद कुमार मिश्रा नामक व्यक्ति की भर्ती कर ली गई, क्योंकि उनका नाम भी उनसे मिलता-जुलता था। दोनों ने अपना संक्ष...
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