नई दिल्ली, जुलाई 16 -- यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया की किस्मत शरीयत कानून 'क़िसास' पर टिकी है। फांसी की तारीख 16 जुलाई को तय की गई थी, जिसे अब अस्थायी रूप से टाल दिया गया है, लेकिन मौत का खतरा टला नहीं है, क्योंकि पीड़ित पक्ष ने साफ कह दिया है कि वे किसी भी सूरत में माफ नहीं करेंगे। उन्होंने अपने प्रियजन के बदले पैसे लेने से भी साफ इनकार कर दिया है। 36 वर्षीय निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली नर्स हैं, जो 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। वहां उनकी पार्टनरशिप स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई, जो आगे चलकर बिगड़ गई। 2017 में महदी की मौत के बाद यमन की अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी पाया और 2020 में मौत की सजा सुना दी गई।क्या है 'किसास' कानून निमिषा प्रिया की जिंदगी और मौत अब किसास कानून पर टिकी है...
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