लखनऊ, अक्टूबर 9 -- पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग से खुली जनसुनवाई की मांग की है। परिषद ने कहा कि वर्ष 2000 में बिजली कंपनियों का घाटा महज 77 करोड़ रुपये था जो कि बढ़कर एक लाख 10 हजार करोड़ हो गया है। यह सब केवल केंद्र और प्रदेश सरकार की गलत नीतियों की वजह से हुआ। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा दो अप्रैल 2013 के विद्युत नियामक आयोग के आदेश का उल्लंघन कर निजीकरण आगे बढ़ाने की बात करना अवैध है। आयोग ने वर्ष 2013 में आदेश दिया था कि निजीकरण के पहले उसे बताया जाएगा कि इससे उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा। उन्होंने कॉरपोरेशन पर विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-142 के तहत कार्रवाई शुरू करवाने की मांग की है। असफल सरकारी योजनाएं जैसे- उदय, ...