लखनऊ, जुलाई 25 -- विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली में निजीकरण के प्रयोग हर जगह असफल बताते हुए इसे यूपी की जनता पर न थोपने की अपील की है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वे इस मसले में हस्तक्षेप करें। बिजली कर्मचारियों ने शुक्रवार को भी विरोध जारी रखा। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि प्रदेश के स्तर पर निजीकरण का पहला प्रयोग ओडिशा में 1999 में हुआ था। चक्रवात से टूट गए बिजली के ढांचे को जस का तस छोड़कर बिजली कंपनी एईएस भाग खड़ी हुई। वहीं, रिलायंस पावर काम करता रहा। फरवरी 2015 में ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं की समस्याओं को देखते हुए लाइसेंस रद्द कर दिए। वर्ष 2020 में फिर निजीकरण हुआ और इसी महीने वहां के रेगुलेटर ने उपभोक्ताओं की समस्याएं देखते हुए निजी कंपनियों के खिलाफ सु...