लखनऊ, जुलाई 31 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे हो रहे घोटालों में बिजली राजस्व के बकाए की धनराशि को एक बड़ी वजह बताया है। समिति ने कहा है कि निजी घरानों की नजर विद्युत वितरण निगमों के राजस्व बकाये पर रहती है। प्रदेश में आगरा इसका उदाहरण है जहां टोरेंट पावर कंपनी ने 15 साल गुजर जाने के बाद भी राजस्व बकाये की धनराशि पॉवर कॉरपोरेशन को नहीं दी है। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के इस वक्तव्य का स्वागत किया है कि मनमाने ढंग से कुशल संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटा दिया गया है। इससे बिजली व्यवस्था प्रभावित हो रही है। समिति ने कहा है कि अब ऊर्जा मंत्री को तत्काल पावर कारपोरेशन को निर्देश देना चाहिए कि मार्च 2023 की हड़ताल में हट...