दुमका, जुलाई 3 -- दुमका। प्रतिनिधि दुमका शहर के श्री अग्रसेन भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन बुधवार को कथा व्यास उमेश जी शास्त्री ने प्रवचन देते हुए कहा कि प्रभु का विवाह रुक्मिणी के साथ हुआ और उनके यहां पर प्रद्दुम्न नाम के पुत्र आए, जो साक्षात कामदेव का ही अवतार थे। संभ्रासुर नाम का एक असुर प्रद्युमन को बचपन में ही उठा कर लें जाता है और उसके हाथ से प्रद्युमन समुद्र में गिर जाते हैं और एक मछली के पेट में चले जाते हैं। वापस वह मछली संभ्रासुर के पास वापस आ जाती है। वहां पर प्रद्युम्न ने संभ्रासुर का वध किया और जब द्वारिका आए तो द्वारकाधीश के 16107 विवाह और हो चुके थे। सुदामा चरित्र के माध्यम से कथावाचक ने बताया कि मेरे गोविंद बड़े ही दयालु हैं और वह एक-एक संबंध को निभाते हैं। सुदामा गरीब आवश्यक था, पर प्रभु का भक्त था। जब सुद...
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