सुहैल खान, अगस्त 13 -- मजहबी आस्था और समाज सेवा जब एक साथ चले तो समाज में नई रोशनी आती है। कुछ ऐसा ही बरेली शहर की दरगाह आला हजरत से देखने को मिल रहा है। दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने परंपरा में बदलाव कर डीजे, चादर और जुलूस पर खर्च होने वाले पैसे को बीमार और जरूरतमंद लोगों की दवा के लिए देने का संकल्प लिया है। नई सोच की शुरुआत इस बार दरगाह आला हजरत से हुई है, जहां हर साल आला हजरत उर्स में बड़ी संख्या में लोग चादर और जुलूस के साथ आकर अकीदत पेश करते हैं। इस बार दरगाह के सज्जादानशीन ने अपील जारी कर कहा है कि शोर नहीं, सुकून दो और दवा की जरूरत है, दिखावे की नहीं। उन्होंने समाज के हर वर्ग से इसका पालन करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि केवल उर्स ही नहीं बल्कि पैगंबरे इस्लाम के जुलूस ए मोहम्मदी जश्न में भी इसे लागू किया जाए। सज्जाद...